Monday, January 10, 2022

लघु-कथा। स्वामी का पता। Swami ka Pata | रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore




गंगा जी के किनारे, उस निर्जन स्थान में जहाँ लोग मुर्दे जलाते हैं, अपने विचारों में तल्लीन कवि तुलसीदास घूम रहे थे। उन्होंने देखा कि एक स्त्री अपने मृतक पति की लाश के पैरों के पास बैठी है और ऐसा सुन्दर श्रंगार किये है मानो उसका विवाह होने वाला हो। 
तुलसीदास को देखते ही वह स्त्री उठी और उन्हें प्रणाम करके बोली-‘महात्मा मुझे आशा दो और आशीर्वाद दो कि मैं अपने पति के पास स्वर्ग लोक को जाऊँ।’ 

तुलसीदास ने पूछा- मेरी बेटी! इतनी जल्दी की क्या आवश्यकता है; यह पृथ्वी भी तो उसी की है जिसने स्वर्ग लोक बनाया है।’

स्त्री ने कहा-‘स्वर्ग के लिए मैं लालायित नहीं हूँ; मैं अपने स्वामी के पास जाना चाहती हूँ।’

तुलसीदास मुस्कराये और बोले- “मेरी बच्ची अपने घर जाओ! यह महीना बीतने भी न पाएगा कि वहीं तुम अपने स्वामी को पा जाओगी।’

आनन्दमयी आशा के साथ वह स्त्री वापस चली गई। उसके बाद से तुलसीदास प्रति दिन उसके घर गये, अपने ऊँचे-ऊँचे विचार उसके सामने उपस्थित किए और उन पर उसे सोचने के लिए कहा। यहाँ तक कि उस स्त्री का हृदय ईश्वरीय प्रेम से लबालब भर गया।

एक महीना मुश्किल से बीता होगा कि उसके पड़ोसी उसके पास आए और पूछने लगे-‘नारी! तुमने अपने स्वामी को पाया?’

विधवा मुस्कराई और बोली-‘हाँ मैंने अपने स्वामी को पा लिया।’

उत्सुकता से सब ने पूछा- ‘वे कहाँ हैं?’

स्त्री ने कहा-‘मेरे साथ एक होकर मेरे स्वामी मेरे हृदय में निवास कर रहे हैं।’

No comments:

Post a Comment

Short Story | Madam Crowl's Ghost | Joseph Thomas Sheridan Le Fanu

Joseph Thomas Sheridan Le Fanu Madam Crowl's Ghost Twenty years have passed since you last saw Mrs. Jolliffe's tall slim figure. She...