Friday, June 24, 2022

कविता। रोअहूं सब मिलिकै। Roahun Sab Milike | भारतेंदु हरिश्चंद्र | Bhartendu Harishchandra


 

रोअहू सब मिलिकै आवहु भारत भाई।

हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई॥ धु्रव॥

सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो।

सबके पहिले जेहि सभ्य विधाता कीनो॥

सबके पहिले जो रूप रंग रस भीनो।

सबके पहिले विद्याफल जिन गहि लीनो॥

अब सबके पीछे सोई परत लखाई।

हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई॥

जहँ भए शाक्य हरिचंदरु नहुष ययाती।

जहँ राम युधिष्ठिर बासुदेव सर्याती॥

जहँ भीम करन अर्जुन की छटा दिखाती।

तहँ रही मूढ़ता कलह अविद्या राती॥

अब जहँ देखहु दुःखहिं दुःख दिखाई।

हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई॥

लरि बैदिक जैन डुबाई पुस्तक सारी।

करि कलह बुलाई जवनसैन पुनि भारी॥

तिन नासी बुधि बल विद्या धन बहु बारी।

छाई अब आलस कुमति कलह अंधियारी॥

भए अंध पंगु सेब दीन हीन बिलखाई।

हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई॥

अँगरेराज सुख साज सजे सब भारी।

पै धन बिदेश चलि जात इहै अति ख़्वारी॥

ताहू पै महँगी काल रोग बिस्तारी।

दिन दिन दूने दुःख ईस देत हा हा री॥

सबके ऊपर टिक्कस की आफत आई।

हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई॥


No comments:

Post a Comment

Short Story | Madam Crowl's Ghost | Joseph Thomas Sheridan Le Fanu

Joseph Thomas Sheridan Le Fanu Madam Crowl's Ghost Twenty years have passed since you last saw Mrs. Jolliffe's tall slim figure. She...