Wednesday, August 9, 2023

Hindi Notes | भारतीय आर्य भाषाएं | Bhartiya Arya Bhashayen

 


भारतीय आर्य भाषाओं की उत्पत्ति भारोपीय भाषा परिवार की भारतीय-ईरानी शाखा से हुई है। इसका इतिहास लगभग साढ़े तीन हजार वर्षों का है। इसको भाषागत विशेषताओं तथा विभिन्नताओं के कारण मुख्य रूप से तीन विकास खण्डों में विभाजित किया जाता है-

1. प्राचीन आर्य भाषाएं

2. मध्यकालीन आर्य भाषाएं

3. आधुनिक आर्य भाषाएं

 इसके संपूर्ण विकास क्रम को इस चार्ट के माध्यम से समझा जा सकता है।


चरण भाषा समय
1- प्राचीन आर्य भाषाएं 1- वैदिक संस्कृत 1500 ई.पू.-1000 ई.पू.
1500 ई.पू.-500 ई.पू 2-लौकिक संस्कृत 1000 ई.पू.-500 ई.पू.
2- मध्यकालीन आर्यभाषाएं 1- पालि 500 ई.पू.- 1 ई.
500 ई.पू.-1000 ई. 2- प्राकृत 1 ई.- 500 ई.
3- अपभंश तथा अवहट्ट 500 ई.- 1000 ई.
3- आधुनिक आर्यभाषाएं हिन्दी, बांग्ला 1000 ई. - अब तक
1000 ई. - अब तक उड़िया, मराठी
गुजराती, पंजाबी, सिंधी

यहां हम देखते हैं कि प्राचीन आर्य भाषाओं का समय काल 1500 ई.पू. से लेकर 500 ई.पू. है और इसके अंतर्गत आने वाली भाषाएं हैं- वैदिक संस्कृत (1500 ई.पू.-1000 ई.पू.) और लौकिक संस्कृत (1000 ई.पू.-500 ई.पू )। मध्यकालीन आर्य भाषाओं का समय काल 500 ई.पू. से लेकर 1000 ई. है। इस काल में प्रयोग होने वाली भाषाएं हैं- पालि (500 ई.पू.- 1 ई.), प्राकृत (1 ई.- 500 ई.), अपभ्रंश तथा अवहट्ट (500 ई.-1000 ई.)। 1000 ई. से लेकर अब तक का समय आधुनिक आर्यभाषाओं के अन्तर्गत आता है और इस काल में विकसित हुई भाषाएं हैं- हिन्दी, बांग्ला, उड़िया, मराठी, गुजराती, पंजाबी, सिंधी आदि। 

No comments:

Post a Comment

Short Story | A Golden Venture | W.W. Jacobs

W.W. Jacobs Short Story - A Golden Venture The elders of the Tidger family sat at breakfast-Mrs. Tidger with knees wide apart and the younge...