Tuesday, July 19, 2022

कबीर ग्रंथावली | पद (राग कल्याण) | कबीरदास | Kabir Granthavali | Pad / Rag Kalyan | Kabirdas



 ऐसै मन लाइ लै राम रसनाँ,

कपट भगति कीजै कौन गुणाँ॥टेक॥

ज्यूँ मृग नादैं बध्यौ जाइ, प्यंड परे बाकौ ध्याँन न जाइ।

ज्यूँ जल मीन तेत कर जांनि, प्रांन तजै बिसरै नहीं बानि॥

भ्रिगी कीट रहै ल्यौ लाइ, ह्नै लोलीन भिंरग ह्नै जाइ॥

राम नाम निज अमृत सार, सुमिरि सुमिरि जन उतरे पार॥

कहै कबीर दासनि को दास, अब नहीं छाड़ौ हरि के चरन निवास॥393॥


No comments:

Post a Comment

Short Story | Madam Crowl's Ghost | Joseph Thomas Sheridan Le Fanu

Joseph Thomas Sheridan Le Fanu Madam Crowl's Ghost Twenty years have passed since you last saw Mrs. Jolliffe's tall slim figure. She...